"इतना आसान नहीं है जनाब "
आज सुना तुम लोक सभा आये थे फिर सोचा भारत वापस कब आये थे?
खैर ..कुछ प्रश्न बाण तुमने भारत पर चलाये है , एक कर्म के धनी और अंत्योदय के प्रनि को तुमने फिर से घेरा है|
अपने झूठ और घमंड का परिचय तुमने जो आज दिया
मूर्खनंद ! भरी लोकसभा में शर्म सार केवल खुद को ही किया है ।
आज तुम फिर से कुछ भूले बिसरे रटे रटाये शब्द लिखवा कर ल|ये थे
कुछ अनगिनत बार दोहराये प्रश् सभा पटल पर फिर से रखे थे
ये क्या ? तुमने संसद में भारत के वीर सपूतों को घेर लिया----
सब पता है ,की बस वोट की लालसा में सेना के पराक्रम को ही प्रश्नित कर दिया
बस ये इधर - उधर की बातें करना , कभी जम कर शोर मचा देना , या फिर कभी लक्ज़री क़े खातिर विदेश निकल जाना।
जनाब बस, यही तो पहचान भर रह गयी है तुम्हारी
देश क दुस्मनों क साथ खड़े रहना , और संवैधानिक मूल्यों को तार तार कर देना।
इतनी भर तो राजनीती है तुम्हारी।
गाँधी उपनाम भले हो लेकिन देश विरोधी सोच--- कोई नहीं स्वीकारेगा।
ये राजनीती है मिस्टर , पार्ट टाइम जॉब नहीं है।
देश क़े वीरो और महापुरुषों क़े द्वारा सींचा हुआ गुलिस्तां है , तुम्हारे बाप की जागीर नहीं है।
देश का सम्मान और बढ़ते इंडिया की सोच तुमको सूट नहीं करती है
सरकर विरोध में झूठ की घूटी जो तुमने किसानों को पिलाई है बस यही स्वार्थी सोच इस देश को अंधकार में में लायी थी।
बस फिक्र थी तो सोचा कह दू
कम से कम कोंग्रेसी चमचों की तो सुन लो युवराज जी , जो कह रहे है फिक्र से |
हमारा युवराज ही रचेगा इस देश का नया इतिहास
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