Sunday 21 February 2016


                                                                    देसी इंटरप्रे न्योर


जिंदगी रफ़्तार मांगती मन तो बस इतवार मांगता।
आगे बढ़ने की चाह में घर को पीछे छोडता हू 

चलना  तो है,,, उड़ना भी है....  पर छूट न जाए दिल कही पीछे बस यही सोचता हु 
हु नासमझ . . २  पंघी का घर घोसला है आसमा तो मन का सुकून है बस 

देखा  भी है सुना भी है कहता समाज जिन्हे टाटा , बिड़ला या अम्बानी 
जब पुछा है नहीं कहते अपने ऐशो आराम की कहानी 
बस गिनने लगते छुटपन के, यौवन के......  अच्छी  नींद, सुकून की शाम और दोस्तों संग गेड़ी मरने की कहानी।

सोचा है क्यों न ऐसा कर जाऊँ न छोड़ना  पड़े दर ,  न भटकना पड़े दर- दर , शहर - शहर,
छोटे शहरों के बंटी , पप्पू और शरद.... वैसे ही शामें  बिताएं रातों की नींद वो अपने घरों में ही पाएं।
बूढ़े माँ बाप की चिंता  उन्हें हर रात  फिर न सताए।।

नहीं चाहिए मर्सिडीज, पोर्शे या डुकाटी अपने लिए तो काफी है मारुती की अफोर्डेबल गाडी,
देखता हु जोड़ता हु ईस्ट मित्रो को बोलता हू आईडिया है दिल में लक्ष्य भी क्लियर है 
फिर न जाने क्यों मैं हिम्मत ढूंढ़ता हू 
फिर सोचता हु स्वयं तो है सबके दिलों में चलो वयम की भावना खोजता हू।


अंकित द्विवेदी 

Friday 19 February 2016

बदल रहा है जग बदल रहे है हम पर इंसानियत के लिए क्या कर रहे है हम 
सोचा है कभी उन बाशिंदों के लिए जिनको भी है हक़ बढ़ने का पड़ने का .... न सिर्फ सहने का गम  

जिन्हे नसीब नहीं रोटी कपडा और  माकन, वो कैसे कहे 'मेरा देश महान' 
सोच तो ये हो की हक़ मिले बराबरी का ,भूखा न सोए एक भी इन्सान 
चैन न ले हम जब तक रहे बाकी एक भी बेईमान 
लूटखोरी जालसाज़ी से नहीं बनता मुल्क ये महान 
प्रन करो की चैन न लोगे,...  वोट भी न दोगे, 
जब तक न हट जाए सफ़ेद कुर्तो से भ्रस्टता  के ये काले निसान  

ज़िंदगी लगा दी देश की अस्मिता को बचने में, उन क्रांतिकारियों की शपथ ले बनते है कुछ लोग महान 
इन्हे क्या पता ज़िंदगी लूटा दी जिन्होंने नहीं था मन में उनके तनिक भी भेदभाव या अभिमान 
चाहते थे देश को दिलाना वो सम्मान जिसके लिए तरसता रह गया इस देश का इतिहास महान 

अभी वक़्त है पर घडी सक्त है बांध लो पेटी  कमर की जाँच लो तहसीर दिल की 
फिर न कहना सोचा नहीं समझा नहीं क्युकी लड़ना नहीं है बहरी क्रूर शाशको से 
  ..... जंग है इस बार देश में  छुपे हुए  गद्दारों से.... 


अंकित द्विवेदी