राष्ट्र भक्ति
जय हिन्द की सरगम कर रही धूम, झूमती ये धरा नाचता ये व्योम ॥
हर्ष है उल्लास है पर देश भक्त क्यों उदास है।
वो सोचता है, ढूढ़ता है, और फिर निरुत्तर प्रश्नों को पूछता है
हर गली हर सड़क आज तिरंगे से सजते है पर क्यों नहीं लाल चौक पर जय हिन्द के नारे लगते है ?
है गरीबी भुखमरी भी बढ़ी है , पर क्यू एम्फेसिस ग्रोथ रेट पर ही है?
है कॉर्पोरेट कल्चर कही,... पर पानी नहीं करने को एग्रीकल्चर कही?
कभी सोचता हू...
रह न जाये ये दिवस मात्र राष्ट्र की स्वतंत्रता का,
चलो मिलकर मिटाये अँधियारा एक राष्ट्र भक्त के प्रगति मार्ग का।।
~~ अंकित द्विवेदी